Digital India?

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डिजिटल भारत?
बात आज एक ऐसे आयाम की जिसके बोझ तले भारत के सामान्य लोग दबे जा रहे हैं।
बात "डिजिटल कैशलेस ट्रांसपैरेंट इंडिया" की हाल ही में नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत ने भौतिक बैंक को आने वाले कुछ वर्षों में अप्रासंगिक बताया है उनका कहना है कि भारत मे बढ़ रहे डाटा खपत व डाटा विश्लेषण वित्तीय समावेशन को मजबूती देंगे। भारत मे 1अरब से अधिक बायोमेट्रिक आधार कार्ड धारक है जिनका उपयोग बैंकिंग सेवाओं, सुविधाओ के लिए किया जा रहा है जो आने वाले दिनों में नकदीरहित अर्थव्यवस्था को मजबूती देंगे।
सत्ता में आने के पहले मोदी ने अपने तमाम भाषणों में कालेधन को लेकर चिंताएं व्यक्त की थी साथ ही आष्वासन भी दिया था कि उनकी सरकार आने के बाद स्थितियां बदलेंगी? सरकार बनने के बाद उन्होंने सार्थक प्रयास भी किये SIT का गठन, नोटबंदी जैसे कठोर फैसले लिए, डिजिटल ट्रांसक्शन के लिए प्रोत्साहित किया परन्तु स्थितियों में कोई विशेष सुधार नही हुआ। इसके उलट नोटबन्दी के बाद मचे नोटों की हाहाकार को दबाने में सरकार को लगभग एक वर्ष लग गए। E-Payment को 'बढ़ावा बिना जागरूकता व बिना सेवाओं को दुरुस्त किये' दिया गया नतीजन सर्वर में फसे पैसे के लिए कोई संतोषजनक उपचार आज भी नही है। ये अलग विषय है की Paytm जैसे E-Wallet डिजिटल पेमेंट के माध्यम से अपनी पहचान बनाने में सफल हुए। 4G आने के बाद देश का औसत डेटा स्पीड अन्य कई देशों से अभी भी बहुत कम है, कोई भी सेवा तब तक सफल नही जब तक अंतिम उपभोक्ता पूर्ण सन्तुष्टि का अनुभव न करे।
E-Payment के लाभ भी है पैसे के भुगतान में आसानी, कैश के ले जाने ले आने का झंझट नही, बैंक जाने की जरूरत नही इसलिए समय की बचत, पारदर्शी अर्थव्यवस्था को मजबूती, भ्रष्टाचार में कमी नोटों की छपाई व परिवहन में लगने वाले पैसे की बचत E-Payment पर्यावरण के अनुकूल भी है।
परन्तु इस व्यवस्था को सिर्फ़ जनता तक सीमित रखना, सेवाएं व जागरूकता में कमी रहना इसे खोखला करने वाला साबित होगा।
बड़ा प्रश्न ये है कि क्या सभी राजनीतिक दल प्रथमतः सत्तापक्ष ऐसी पहल करेगा की उसके सारे खर्चे, पार्टी के लिए दिए गए चंदे का भुगतान E-Payment के माध्यम से हो साथ ही राजनीतिक दलों द्वारा किये गए खर्च खासतौर पर चुनावों में किये गए खर्च (जिसमे चुनाव प्रचार, पोस्टर, बैनर, सभाओं के खर्च वाहन, कार्यकर्ताओं पे होने वाले खर्चे आदि शामिल हो) Online या नागदरहित हो सकते हैं? यदि नही तो जनता को कैशलेश के नाम पर बैंक की लंबी-लंबी कतारों में खड़ा करना, घटिया उबाऊ सर्विस देना उनके साथ बेमानी होगी। आपके बैंको में कैश नही, आपके खराब नगदरहित ATM '24×7 घंटे सेवा' की पोल खोल रहे हैं, आपके बैंक मित्र बेचारे कमीशन के मारे किसी तरह से कैश की व्यवस्था कर  कुछ लोगों की जरूरतों को पूरा कर रहे हैं, आम जनता अपने ही पैसे के लिए भिखारियों की तरह यहाँ-वहाँ भटक रही है। क्योंकि आप और आपके साथ सभी गरबों, पिछड़ों, मजदूर, किसानों की मशीहा राजनीतिक दल 2019 का चुनाव नगदसहित लड़ने की तैयारी मेंं हैं और सामान्य जनता लग्न के दिनों में कैश की किल्लत से दोबहियाँ कर रहा है।
                                                                 खेद!
                                                Rahul Kumar.

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